Wednesday, September 17, 2025

इसामु नोगुची: संस्कृतियों का सेतुबंध Isamu Noguchi: A Bridge between Cultures : Dr. Ved Prakash Bhardwaj

 



इसामु नोगुची (1904-1988) बीसवीं सदी के मौलिक और प्रभावशाली कलाकारों में से एक थे, जो जीवन में निरंतर कला विधाओं, शैलियों और सामग्री की सीमाओं को चुनौती देते रहे। ललित कला के साथ ही भूदृश्य वास्तुकार, डिजाइनर सहित कई भूमिकाओं में उन्होंने काम किया। फर्निचर डिजाइन करते समय भी वह उसमें अपने शिल्प के विशिष्ट सौंदर्य को शामिल करते रहे। उनका विश्वास था कि  कला संस्कृतियों, विषयों और समुदायों को जोड़ सकती है। दुनियाभर की सैर करते हुए उन्होंने अलग-अलग देशों की विशिष्ट कलाओं का अध्ययन किया और उन्हें अपने काम का हिस्सा बनाते हुए कला की एक वैश्विक भाषा तैयार करने की पहल की।



लॉस एंजिल्स में जन्में इसामु नोगुची के पिता जापानी थे और मां अमेरिकी। उनका आरंभिक जीवन जापान में बीता। किशोरावस्था में वह अकेले अमेरिका आ गये जहां उन्होंने शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही उस समय के मूर्ति कलाकारों और दूसरे कलाकारों के साथ काम करते हुए कला की बारीकियां सीखीं। मेक्सिको, चीन और इटली की यात्राओं ने उनके दृष्टिकोण को और व्यापक बनाया। उनका मानना ​​था कि कला को किसी एक परंपरा तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि दुनिया भर के बीच एक सेतु का काम करना चाहिए। इसीलिए उन्होंने अपने कामों में पश्चिम और पूर्व की कला परंपराओं को एक करते हुए अपनी कला भाषा विकसित की।

नोगुची की कला असाधारण रूप से व्यापक थी। उन्होंने पत्थर की मूर्तियां तराशीं, उद्यानों के डिज़ाइन तैयार किये, सार्वजनिक चौक बनाए और फर्निचर व दूसरी घरेलू वस्तुएं बनाईं। उनकी कृतियां स्मारकीय परिदृश्यों से लेकर नाज़ुक कागज़ की लालटेनों तक, विभिन्न प्रारूपों में सामने आती रहीं। हरमन मिलर द्वारा निर्मित नोगुची टेबल (1947) आधुनिक डिज़ाइन का एक उत्कृष्ट नमूना बनी हुई है, जबकि उनकी प्रकाश मूर्तियां (1951 में विकसित) दुनिया भर के घरों में रौशनी के साथ ही लालित्य लाती हैं। नोगुची के लिए, एक कार्यात्मक  व्यावहारिक कलावस्तु और संग्रहालय में संग्रहित की जाने योग्य कलाकृति के बीच स्तरीकरण का विभाजन नहीं था; उनके लिए दोनों ही कलात्मक दृष्टि का प्रतीक हो सकते थे।



1930 के दशक की शुरुआत में, नोगुची ने कोरियोग्राफर मार्था ग्राहम के लिए मंच डिज़ाइन किए और इस तरह उनके साथ आजीवन रचनात्मक साझेदारी स्थापित की। उन्होंने मर्स कनिंघम, एरिक हॉकिन्स, जॉर्ज बालानचिन और संगीतकार जॉन केज के साथ भी काम किया और आधुनिक प्रदर्शन की दृश्य भाषा को आकार देने में मदद की। मंच के अलावा, उन्होंने वास्तुकार लुई कान और जापानी पत्थर तराशने वाले मासातोशी इज़ुमी के साथ भी काम किया। इस प्रकार के कला अभ्यासों ने उन्हें विभिन्न कला माध्यमों के साथ ही विषयों को गहराई से आत्मसात करने में सक्षम बनाया। इससे उनकी कला व्यापक होती गई।



नोगुची का दृढ़ विश्वास था कि मूर्तिकला एक सामाजिक भूमिका निभाती है। उन्होंने ऐसे चौक, फव्वारे और खेल के मैदान डिज़ाइन किए जो जनसहभागिता को प्रोत्साहित करते थे। प्रेस की स्वतंत्रता के प्रतीक रॉकफेलर सेंटर के लिए उनके 1940 के कमीशन्ड वर्क ने उनकी कला में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया। हालांकि, दूसरे विश्व युद्ध ने दर्दनाक चुनौतियां पेश कीं: जापानी अमेरिकियों की कैद से क्षुब्ध होकर, नोगुची ने एरिज़ोना के पोस्टन नज़रबंदी शिविर में स्वेच्छा से प्रवेश किया, इस आशा में कि वे इसके सुधार में योगदान दे सकें। हालांकि उनका मोहभंग हुआ, पर इस अनुभव ने सामाजिक जुड़ाव के एक साधन के रूप में लोक कला के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को और गहरा कर दिया।



नोगुची का सौंदर्य सिद्धांत पदार्थ और स्थान के प्रति संवेदनशीलता से आकार लेता था। उन्होंने संगमरमर, ग्रेनाइट, स्टील, लकड़ी, एल्यूमिनियम शीट और कागज़ के साथ काम किया, और जापानी कला से प्रभावित होकर कृत्रिम प्रकाश से संस्थापन कला की। जापानी उद्यानों, चीनी ब्रशवर्क, इतालवी संगमरमर परंपराओं और मैक्सिकन स्मारकवाद से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने प्राकृतिक और मानव निर्मित रूपों के बीच सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश की। उनका काम अक्सर भार और हल्केपन, स्थायित्व और क्षणभंगुरता का संतुलन बनाए रखता है, जिससे रहस्य और स्पष्टता दोनों का आभास होता है।



उनकी विरासत 1985 में न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड सिटी में नोगुची संग्रहालय की स्थापना के साथ चरम पर पहुंची। उनके द्वारा डिज़ाइन किया गया यह संग्रहालय मूर्तिकला, वास्तुकला और भूदृश्य को एक साथ लाता है और कला को जीवन में समाहित करने के उनके आजीवन दृष्टिकोण को मूर्त रूप देता है। 1988 में उनकी मृत्यु के बाद, जापान के म्यूर स्थित उनके स्टूडियो को नोगुची गार्डन संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया गया, जिससे उनका प्रभाव महाद्वीपों तक फैल गया।

क्योटो पुरस्कार, राष्ट्रीय कला पदक और जापान के ऑर्डर ऑफ़ द सेक्रेड ट्रेज़र से सम्मानित, नोगुची संस्कृतियों और विषयों को एक साथ लाने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं। उनकी कला दर्शाती है कि मूर्तिकला केवल देखने की चीज़ नहीं है, बल्कि जीने की चीज़ है: टहलने के लिए एक बगीचा, रोशन करने के लिए एक दीपक, संगीत या नाटक प्रदर्शन करने के लिए एक मंच, यह सब कलारूप हैं। कला व संस्कृतियों की सीमाओं को पाटने में, नोगुची ने मानवता की सेवा करने के लिए कला के अर्थ को नए सिरे से परिभाषित किया।

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